Sunday, 19 November 2017

We say Videshi Brahmins Quit India !

Why we celebrate 15 th August as Independence day ? It is because we got independence from videshi British on this day . Now the question is when we will get independence from Videshi Brahmins ? And why we should not fight for that under the banner of Native Rule Movement ?

Native Rule Movement is following Nativism as Guru and Native Hindutva as Guide !

In Hindustan no body followed Nativism in true sense . Bal Thakare followed Bhashawad and not Nativism , DK , DMK followed Bhashawad and not Nativism . None of them said Videshi Brahmins Quit India or said Brahmin Dharm is separate from Hindu Dharm . None of them said Janeu Chhodo , Bharat Jodo or Hindutva Vahi , jisme Videshi Brahmin Bilkul Nahi .

Nativist D.D.Raut said first time in Hindustani history that Hindu Vohi , Jo Brahmin Nahi !He rejected Videshi Brahmin Dharm books namely Vedas and Brahmin Law Manusmriti and very clearly said only Holy Bijak , the holy vaani of Dharmatma Kabir is Hindu Dharm Code Book and Dr Ambedkar 's Hindu Code Bill as Hindu Dharm Laws .

Native Rule Movement says Brahmins are not only Videshi , they are enemy of both Hindustan and Hindus . Our Hindu definition includes all Non Brahmins irrespective of their religions like Muslim , Christian , Buddhist , jain , Sikh etc but never Brhamin Dharm or any dharm , system which propagates , advocates and supports Vedic Brahmin Dharm of Vedas and Bhedas , Jaati and Asprushyata etc.

There is No Brahmin , No Kshatriya , No Vaishya , No Shudra , No Asprushya in Hindu Dharm as the Hindu Dharm is based on Holy Bijak of Kabir and not on Videshi Brhamin's Vedas , There is no caste system in Hindu Dharm as it is based on Hindu Code Bill of Dr Ambedkar and not based on Videshi Brhamin Law Manusmriti . Our Native people's professions are not castes , we are free to change them any time , we have done that in the past . Only when there was Videshi Brahmin Rule or Rule of Jaichands supporting Videshi Brahmins caste system was inforced to divide Native people so that like British Brahmins could Divide and Rule .

Native Rule Movement very categorically said that there are only 3 per cent Videshi Brahmins and 97 per cent Native People . At present these 3 per cent Videshi Brahmins control 90 per cent land , property , employment opportunity and reducing Native people to poverty and below poverty line .
Can any body tell us why we should not fight for Independence from Videshi Brhamins on the line of Gandhiji calling Videshi Brahmins Quit India ?

Nativist D.D.Raut
President,
Native Rule Movement

Our Message to Nation : Janeu Chhodo , Bharat Jodo

Monday, 13 November 2017

नेटीव्हीसम स्वतंत्र विचार सरणी :

नेटिव्हिसम नेटिव्ह हिंदुत्व एक स्वतंत्र विचार सरणि आहे , हा विचार नेटिविस्ट डी डी राऊत नि नेटिव्ह रुल  मोव्हमेन्ट च्या माध्यम तुन , मूळ भारतीय विचार मंच वर व नेटिव्ह पीपल'स पार्टी या राजकीय पक्षा करीत जवळ जवळ ४० वर्ष पासून मांडला आहे . या विचारात आंबेडकरवाद , गांधीवाद , मार्क्सवाद , समाजवाद आदी कोणत्याही विचार चा लवलेश हि नाही व त्या वर अवलंबून नाही . कुठलीही व्यक्ती शी हा नेटीव्हीसम हा विचार संबंधित नाही . या पूर्वी हा विचार कोणीही मांडला नाही , या विचारात केवळ नेटीव्हीसम हाच गुरु आहे व नेटिव्ह हिंदुत्व आमचे मार्गदर्शन आहे . आम्ही आमचे विचार मांडतो ,

ज्यांनी त्यांनी आप आप ले विचार मांडावे , लोकांना जे योग्य वाटतील ते ते घेणार . आम्ही ब्राह्मीनाना विदेशी मानतो , हिंदू धर्म व ब्राह्मण धर्म वेग वेगाडे आहेत असे आमचे मत आहे . वर्णवादी , जातीवाद ब्राह्मण धर्मात असून वर्ण , जाती , भेदभाव कबीरांनी सांगितलेल्या बीजक या सत्य हिंदू धर्मात नाही असे आमचे पक्के मत आहे , हिंदू कोण तर जो ब्राह्मण नाही असे आमचे म्हणणे आहे .हेच आमचे नेटिव्ह हिंदुत्व होय . आम्ही विदेशी ब्राह्मीना ना चालते वाह असे बजावून सांगू इच्छितो . ब्राह्मण सोडून इतर सर्व हिंदू आहेत असे आम्ही मानतो मग ते कुठल्याही धर्म चे असोत मात्र ते ब्राह्मण नसावे , ब्राह्मण धर्मी नसावे असे आम्ही सांगतो . हेच आमचे नेटिव्ह राष्र्टीयत्व होय . ब्राह्मण गेले कि वर्ण , जाती संपल्या मग जाती वर आधारित आरक्षण ची गरजच राहणार नाही असे आम्हाला वाटते . ३ टक्के विदेशी ब्राह्मीनानी जवळ जवळ ९० टक्के संपत्ती, जागा , पैसे , व्यापार , मालमत्ता , नौकरी वर कब्जा केला आहे त्या मुळे जो पर्यंत हे विदेशी ब्राह्मण जात नाही तो पर्यंत नेटिव्ह , आदिवासी , मूळ भारतीय , भूमी पुत्र ना न्याय मिळणार नाही असे आम्हाला निरक्षूं सांगावेसे वाटते .

आम्ही हो मूळ भारतीय विचार , मूळ भारतीय विचार मंच च्या माध्यमातून कल्याण येथे जवळ जवळ ३५-३७ वर्ष पूर्वी सार्वजनिक रित्या मंडल होता त्या मध्ये त्या वेळचे सर्व राजकीय पक्षाचे लॉग , सामाजिक कार्यकर्ते त्या वर्क शॉप ला हजार होते . पुढे हा विचार त्या लोकांनी आप आपले पक्ष व त्यांचे राजकीय विचाराशी जोडले मात्र नेटीव्हीसम हा विचार तास नाही . नेटीव्हीसम मध्ये, जाती , वर्ण , धर्म , भाषा , प्रांत नाही . विदेशी वसाहतवाद नाहीसा करणे व वर्ण , जाती वेवस्था नाहीशी करण्या साठी विदेशी ब्राह्मीनो ना देश बाहेर घालवणे , हिंदू धर्म , हिंदुस्थान , हिंदू ब्राह्मण धर्म पासून वेगळा असून तो ब्राह्मण धर्म विरोधी आहे हे सांगून त्याला प्रत्यक्ष जीवनात उतरविणे हे नेटीव्हीसम व नेटिव्ह हिंदुत्व होय जे इतर कोणत्याही विचारात व व्यक्ती वादात नाही .

आह्मी लोकांना नमस्कार म्हणा मानून सांगतो , जय हिंद बोला म्हणतो . हाच आमचा स्वदेशी स्वराज होय .

तूर्त एवढेच !

नेटिविस्ट .राऊत
नेटिव्ह रुल मोव्हमेन्ट

Sunday, 12 November 2017

अम्बेडकरी ब्राहिष्कृतो में हम सत्य हिन्दू धर्मी है कहने की हिम्मत नहीं !

हिन्दू धर्म और ब्राह्मण धर्म अलग अलग है ,हिन्दू  वोही , जो ब्राह्मण नहीं , हिंदुत्व वही जिसमे ब्राह्मण बिलकुल नहीं जैसे ही नेटिविस्ट डी.डी.राउत ने अपने नेटिव रूल मूवमेंट के अंतर्गत सत्य हिन्दू धर्म सभा , मूल भारतीय विचार मंच ,नेटिव पीपल'स पार्टी , हिन्दू रिफॉर्मिस्ट आर्मी के तहत लोगो तक बात पुहचाहि , विदेशी ब्रह्मिनो के साथ साथ , अम्बेडकरी दलित - बुद्धिस्ट , बहिस्कृत , अछूत लोगो के तोते उड़ गए।  आज तक वो बड़े अभिमान से छाती पिट रहे थे की वो जातिवाद , वर्णवाद के खिलाफ लड़ रहे है।  पर हमारे ये कहते ही की हिन्दू धर्म और ब्राह्मण धर्म अलग है और हिन्दू धर्म में वर्ण , जाती , भेदाभेद , अस्पृश्यता नहीं है , उनके विचार की हवा ही फ़ुस्स हो गयी।  जब हिन्दू धर्म और ब्राह्मण धर्म अलग है तो हिन्दू को गाली कैसे दे पाएंगे, और विदेशी ब्रह्मिनो को गाली देने की हिम्मत नहीं तो सारी भड़ास नेटिविस्ट डी.डी.राउत पर ही निकल सकते है ये लोग , और इसका हमें कोई दुःख या अफ़सोस भी नहीं क्यों की ऐसे कमजोर लोग और कमजोर सोच के लोग आखिर कर ही क्या सकते है ?

नेटिविस्ट डी.डी.राउत कहता है  सत्य हिन्दू धर्म में जात नहीं , वर्ण नहीं , हमारा हिन्दू धर्म का एक मात्रा धर्म ग्रन्थ है बीजक तो ये घबरा जाते है , फिर वो अपने आप को अस्पृश्य कैसे कह पाएंगे और तालाबka पानी पिने के लिए संघर्ष किया , मनु स्मृति जलाई कैसे कह पाएंगे , क्यों की ऐसे धर्म को नेटिविस्ट डी.डी.राउत विदेशी ब्राह्मण धर्म कहता है , हिन्दू धर्म नहीं , फिर ये अस्पृश्य जिनो ने तालाब का पानी पिया , मनुस्मृति जलाई वो धर्म तो ब्राह्मण धर्म था हिन्दू धर्म नहीं , खुद को ब्राह्मण और ब्राह्मण धर्म का हिस्सा मानते है , अस्पृश्य मानते है और गाली हिन्दू धर्म और सत्य हिन्दू धर्मी नेटिविस्ट डी.डी.राउत और नेटिव रूल मूवमेंट , सत्य हिन्दू धर्म को देते है ऐसे में क्या होशियारी है ? , कोण सी बुद्धिमत्ता है ?

आप खुद को अस्पृश्य मानते है , हम नहीं , आप खुद को हरिजन , दलित , बहिस्कृत मानते है हम नहीं क्यों की हम हिन्दू है , सत्य हिन्दू धर्मी है , आप ब्राह्मण धर्मी हो , उनके गुलाम हो।

हिम्मत है तो कह के देखो हिन्दू में वर्ण , जाती नहीं है ! पर ये हिम्मत कहा से लावोगे , क्यों की ये हिम्मत तो केवल नेटिविस्ट डी.डी.राउत कर चूका , इस के पहले किसी ने नहीं की , यही इनके पेट दर्द का कारण भी है !

नेटिविस्ट डी.डी.राउत
अध्यक्ष
नेटिव रूल मूवमेंट   
Native Hero Hanuman :

Satya Hindu Dharm Sabha : Satsang :

Bandar ke naam nahi hote hai , ensan ke naam hote hai , esliye ham kahate hai Hanuman ensan the Bandar nahi .

Videshi Brahmin Native Hanuman se etane ghussa huve , etane naraj huve ki bhale change Native Hanuman ko Bandar tak kah dala aur upar se puch laga dali . Kya etana ghussa vajib tha ? Aakhir Native Hanuman ne esa kya kiya tha ? Ek dusare Native Raja Ram ko hi to uski bandi banayi gayi aurat Sita ko chhuda ne ke liye madat ki thi.

Raja Ram ko madat karane wale logo ko Videshi Brahmino ne Bhalu , Ricccha , Bandar kaha . Kya enme unke naam hote hai ? Nahi na . To esi me Videshi Brahmino ki chori pakadi gayi.

Hanuma jis ko uski virata ke kaaran Mahveer bhi kaha jaata hai kuware nahi the . Hanuman ne Koliy samaj ke Native aurat se shadi ki thi jine Makardwaj naam ka ladaka bhi huva tha . Videshi Brahmin yaha bhi zut bolate hai . Kahate hai vo Makar yani paani me rahane wala jiv crocodile tha . Yah sara sar zut hai.

Videshi Brahmin etane jangali the ki ve mare huve janawar aur dusare janawaro se sambhog karate the esliye ve dusare logo ko bhi apane jaise gire huve log samaj te the aur unhe esi baate karane me koi sankoch aur lajja nahi aati thi.

Par ab ham apane Native Hero Hanuman ka apman nahi sahenge nahi unhe Bandar jaisa muh aur puch me batayenge .Janawar to Videshi brahmin the .

Nv. D.D.Raut ,
Prachark , SHDS

Our Message to Nation : Janeu Chhodo , Bharat Jodo

Thursday, 9 November 2017

नॉन ब्रह्मिनो की पोलिटिकल पार्टी बहुत है पर उद्देश्य क्या ?

स्वतंत्र के पहले और बाद में भी बहुत सारे गैर ब्रह्मिनो ने पोलिटिकल पार्टी बनायीं थी , साउथ में डीके ,महाराष्ट्र में रिपब्लिकन पार्टी , फिर बसप , लालू , मुलायम , नितीश , शारद यादव के जयप्रकाश नारायण से जुड़ ने बाद टूट में बानी सप , रजद और कांग्रेस से टूट कर बानी शरद पवार की कांग्रेस राष्ट्रवादी , ठाकरेki शिव सेना , मानसे पर उनकी क्या सोच रही है / क्या उद्देश्य रहा है ? यहाँ तक कुछ पार्टी तो कभी कांग्रेस के साथ तो कभी बीजेपी के साथ जाते हुवे दिखाई देते है।  कुछ पार्टी ने तो सीधे सीधे विदेशी ब्रह्मिनो को न्योता दिया , बड़े पद पर उन्हें बिठाया और दूसरी तरफ लोगो को बेवकूफ भी बनाते रहे , उन्हें ब्राह्मण वाढ से लढना है।  जरा सोच के देखिये अगर गाँधी ये कहते उन्हें ब्रिटिश नहीं ब्रिटिश वाद से परेशानी है तो क्या यह देश स्वतंत्र होता ?

स्वतंत्रता के क्या मायने है ? विदेशी शाशन से मुक्ति , स्वराज , नेटिव रूल / कितने गैर ब्राह्मण लोगो ने स्थापित पार्टी का ये उद्देश्य है ? जरा सभी पार्टी पर नजर डालें , ये लोग आप को बेवकूफ समजते है।  उनका उद्देश्य विदेशी  ब्राह्मण मुक्त हिंदुस्तान नहीं , बस उनके लिए सत्ता और संपत्ति कमाने का जरिया है।  ऐसे लोगो से सावधान हो जावो , चाहे वो गाँधी , क्यों न हो , आंबेडकर क्यों न हो , ठाकरे , पवार , मायावती , मुलायम क्यों न हो , उनका उद्देश्य अब परिवर्तन नहीं पैसा है।

क्या ये लोगो का कोई मिशन है ? बिलकुल नहीं , गंगा गए ,गंगा राम , जमुना गए जमुना दास , यही है उनका असली चेहरा , रामदास देश लीजिये ,रामविलास देख लीजिये , क्या है ?

नेटिव रूल मूवमेंट एकमात्र मिशन है जो डंके की चोट पर कहता है विदेशी ब्रह्मिंस भारत छोडो , हम कहते है जनेऊ छोडो , भारत जोड़ो , इनलोगो से कभी ये सुना है ?

हम नेटिविज़्म को ही गुरु मानते है , वे लोग आप को जाती , जाती में भटकाते है , पचासो फोटो पोस्टर पर लगते है जिन के विचार मेल नहीं कहते वे भी , क्या ऐसे सर्कस से परिवर्तन आएगा ? आरक्षण कोई दवा नहीं यहाँ की बीमारी पर उससे आगे बढ़ने की हिम्मत नहीं।

हम सब ये नहीं कर सकते , हम उन सभी फालतू विचारो को गोली मरते है जो नेटिव रूल नहीं ला सकता , विदेशी ब्राह्मण मुक्त हिंदुस्तान और हिन्दू नहीं कर सकता।  हम कहते है हिन्दू वही , जो ब्राह्मण नहीं।  कोनसी गैर ब्राह्मण पार्टी ये डंके की चोट पर कहती है / ें के पास कोई मिशन नहीं , उद्देश्य नहीं , विचार नहीं।

नेटिविस्ट डी.डी.राउत
अध्यक्ष ,
नेटिव रूल मूवमेंट
नेटिव पीपल'स पार्टी   
गाँधी और आंबेडकर विचार देश के उज्जवल भविष्य के  लिए घातक  :
गाँधी  और आंबेडकर विचार के दुष्परिणाम से जब तक हम हिंदुस्तान को निकालेंगे नहीं , यहाँ विदेशी ब्राह्मण बना रहेगा , राज करता रहेगा।

गाँधी और आंबेडकर ने कभी स्वतंत्र पद्धति से देश की समस्या पर चिंतन नहीं किया।  उनपर विदेशी ब्रह्मिनो ने जो भी लिखा कहा उसे स्वीकार कर वर्ण और जाती सिस्टम को हिन्दू धर्म का हिस्सा माना , ये उनकी सब से बड़ी भूल थी।  जिस कारन वो विदेशी ब्राह्मण धर्म अलग है और नेटिव हिन्दू धर्म अलग है कहने की हिम्मत नहीं जुटा पाए।  ९७ % लोगो जो नेटिव हिंदुस्तानी है उनके साथ ३ टक्का विदेशी ब्राह्मण लोगो के लिए दूजैभाव और अन्याय किया गया।  गाँधी - अमबड़ेकर विचार सही होते तो आज नेटिव लोग भिक नहीं मांगता वो भीkewal ३ टक्का विदेशी ब्रह्मिनो के आगे हाथ फैलाकर।  हमें हिंदुस्तान को गाँधी - अमबेडकर विचार के दुष्परिणामों से जल्दी बाहर लाना होगा , नयी सोच , नया विचार , नेटिविज़्म हमारा गुरु है और नेटिव हिंदुत्व हमारा मार्गदर्शन कहना होगा।  मुक्ति का यही पथ है , नेटिव रूल का यही पथ है

नेटिविस्ट डी.डी.राउत
अध्यक्ष ,
नेटिव रूल मूवमेंट  

Wednesday, 8 November 2017

MUL BHARTIYA VICHAR MANCH ; WE THINK :

king Hemu Rai ( Raut ) , AD 1501 - 1556 , the ruler of Delhi was Scheduled Caste ruler :

king Hemu is known as one of the Native Satya Hindu Dharmi ruler of Delhi for small period during 16 century . Originally from Native Non Brahmin Hindu society from Rajastan , he claimed from small post to Chief of Army and then declared himself as King of Delhi .He was defeated in second battle of Panipat that ended the era of Native Non Brahmin arise and passed Hindustan in the hands of Mughals and British subsequently .

It is understood that he got his coronation done as per rites of Satya Hindu Dharm minus Brahmins as he belonged to low caste as per Videshi Brahmins Vedic Dharm . He might have carried his coronation either by Sikh Religion rituals or Satya Hindu Dharm Code book , the Holy Bijak teaching of Dharmatma Kabir as Satya Hindu Dharm do not follow the Varn and Caste system of Videshi Brahmin Dharm .

Rai in Rajastan are called Rai which is similar to Bhau in marathi . Rai , Rautrai , Rawat , Raut are Non Brahmin Native people every where basically known as Warriors and when ever they got chance they have proved their mettle .In Sikhism also Rai Sikh have played very significant role as Sikh Gurus and ardent followers of Guru Nanak and Dharmatam Kabir as Satya Hindu Dharmi and Sikh.

Had King Hemu got some more life and Videshi Brahmins of that time not supported Akbar the Mughal ruler , the history of Hindustan would have been different .It may be noted from the names of some sardars in Akbar's court that Birbal , Tansen were Brahmins. Perhaps Videshi Brahmins were rewarded for helping in the battle with Native Non Brahmin Hemu with Akbar It is well known fact that many Videshi Brahmins served Mughals right from Babar , Humayu , Akbar to Aurangazeb to eliminate Native people and rulers . Videshi Brahmins continued to oppose even till Shivaji and Bhaskar Kulkarni , a Videshi Brahmin even tried to kill Shivaji but Shivaji cut his head .

Native Non Brahmins are proud of Hemu Rai ( Raut ) who was Sovereign Native Non Brahmin Hindu Samrat of Hindustan like Samrat Ashok , Samrat Harshvardhan , Samrat Shalivahan Buddhist Samrats and Chatrapati like Native Non Brahmin Shivaji Maharaj .

Nv. D.D.Raut ,
Vicharak , MBVM

Our Message to Nation : Janeu Chhodo , Bharat Jodo

Monday, 6 November 2017

जय हिन्द अभी बाकी है !

मेरे वतन को गमखाना बनाया किस ने ,
हस्ती  हिन्दोस्तान  की मिटाया किस ने ,

उठ खड़े हो  अब बारी है उन्हें मिटानेकी ,
हिन्दू मरा नहीं, जय हिन्द अभी बाकी है।

नेटिविस्ट डी.डी.राउत ,
नेटिव रूल मूवमेंट

Thursday, 2 November 2017

पहले हिंदुस्तान में केवल एक ही धर्म था जिसे लोग किसी नाम से नहीं बल्कि धर्म कह कर ही फुँकारते थे ,


पहले हिंदुस्तान में केवल एक ही धर्म था जिसे लोग किसी नाम से नहीं बल्कि धर्म कह कर ही फुँकारते थे , जो बहुत ही पुरातन होने के कारण और सिन्दु हिन्दू संस्कृति के पहले से भी चले आने के कारन लोक धर्म ही मान जाता था जिस में समय समय पर कुछ बदलाव भी हुवे थे। मोठे तौर पर ऐसे शिव ने बनाया मान जाता है जिसे सिंधु संस्कृति ने बहुत आगे बढ़ाया , राम , कृष्णा , कबीर ने ऐसे जीवन में उतरा और कबीर ने अपनी वाणी बीजक में फिर एक बार सरल सब्दो में बताया।

इस हिंदुस्तानी , हिन्दू धर्म में जो केवल एक ही धर्म था न कोई भेदभाव था। पर विदेशी ब्राह्मण अपना वैदिक ब्राह्मण धर्म के साथ हिंदुस्तान पर आक्रमण करने के बाद और सिन्दु - हिन्दू संस्कृति के तहस नहस करने के बाद उनका वैदिक ब्राह्मण धर्म केवल एक वर्ण - सवर्ण विदेशी ब्राह्मण मानते रहे। इस प्रकार, उस समय दो धर्म हिंदुस्तान में हुवे एक हिंदुस्तान के मूल हिंदुस्तानी लोगो का धर्म यानि हिन्दू धर्म और विदेशी वैदिक ब्रह्मिनो का वैदिक ब्राह्मण धर्म। वैदिक ब्राह्मण धर्म में वेद से जुड़े कार्य के कारन ऊंचनीच और भेदभाव की नीव पद चुकी थी और चतुर्वेदी , त्रिवेदी , द्विवेदी , वेदी , मिश्रा , उपाध्या , आदि जाती उसमे निर्माण हुवी थी। इस प्रकार उन विदेशी ब्रह्मिनो में वर्ण और जाती , भेदभाव , ऊंचनीच उनके वैदिक ब्राह्मण धर्म का हिस्सा था। जनेऊ में और हावी , हव्य , गौ के मॉस के हिस्सेदारी में भी ऊंचनीच देखा जाता था। ब्राह्मण धर्म में केवल होम हवं , बलि , सोम रस , खुला सेक्स समभंद, रिस्तेदारी का आभाव देखा जाता है जब की हिंदुस्तान के मूल हिन्दू का हिन्दू धर्म पूरी तरह , विक्सित , सभ्य और सुसंकृत था जिस में न को भेद था न वेद , न जाती। यहाँ ध्यान या शिव विद्या जिसे बुद्धिस्ट विपश्यना कहते है को विकास हुवा था जिस से मनो धर्म और नैतिकता को धर्म मन जाता था ,

इस प्रकार उस समय दो धर्म हिन्दू धर्म और वैदिक ब्राह्मण धर्म दो अलग अलग सोच के कारन टकराते रहते थे। राम से समय तक , होम हवन को बंदी थी जिसे हिन्दू राजा सकती से पालन करते थे जिस के लिए सरकारी रक्षक ,या सिपाही भेजे जाते थे।

वैदिक ब्राह्मण धर्म यहाँ का जान जीवन , कृषि बर्बाद कर रहे थे और असमानता फैला रहे थे जिस कारन हिन्दू धर्म से ब्राह्मण धर्म के विरोध में जैन धर्म आउट बौद्ध धर्म का निर्माण हुवा। पर तब भी वैदिक ब्राह्मण धर्म बाज नहीं आया तो मध्य युग में हिन्दू से सिख धर्म , मनुभव पंथ , लिंगायत, वारकरी आदि का निर्माण हुवा। पर तब भी वैदिक ब्राह्मण धर्म बाज नहीं आया.

आज कुछ लोग हिन्दू से शिव धर्म और लिंगायत कोगो को लिंगायत धर्म बता रहे है , उस से कुछ नहीं होगा। छोट मोठे दसो धर्म भले ही हिन्दू धर्म से निकल पड़े , वैदिक ब्राह्मण धर्म को वो बाल बाक़ा भी नहीं कर सकते क्यों की लड़ाई वो नहीं देश और धर्म दोनों की है और वो है हिंदुस्तान , हिन्दू , हिन्दू धर्म विरुद्धा विदेशी ब्राह्मण और विदेशी वैदिक ब्राह्मण धर्म।

या लड़ाई नेटिव रूल मूवमेंट चारो तरफ से लढा रही है। मूल भारतीय विचार मंच , नेटिव पीपल'स पार्टी , सत्य हिन्दू धर्म सभा , हिन्दू रिफॉर्मिस्ट आर्मी अपने काम में लगी हुवी है।

नेटिविस्ट डी.डी.राउत
अध्यक्ष ,

नेटिव रूल मूवमेंट