Saturday, 30 December 2017

हम है हिन्दू , हम है नेटिव ;

ईरानी , अरब , अफगानी , ग्रीक लोगो ने विदेशी ब्रह्मिनो को हिन्दू नहीं बल्कि बम्मन , पंडत  के नाम से ही जाना है , फुकारा है ब्रह्मिनो को ेउन्हो ने कभी हिंदुस्तानी , हिन्दू , हिन्दू धर्मी नहीं माना।  खुद ब्राह्मण भी कहते रहे है वे विदेशी है , ब्राह्मण है , ब्राह्मण धर्मी है।  तब हिन्दू किसे कहा गया ? हिंदुस्तानी लोगो को जो गैर ब्राह्मण है , नेटिव है।  इनके धर्म को हिन्दू धर्म कहा गया।  काम से काम १३०० साल इस देश को हिंदुस्तान कहा गया।  १८५७ की जंग हिंदुस्तान के बादशाह , जफ़र शाह के नेतृत्व में लढा गया ,गर विदेशी ब्रिटिश हर जाते तो आगे भी बहादुर शाह का राज होता और वो हिंदुस्तान का सम्राट।  उस समय जब अंग्रेजो से जंग लड़ी जा रही थी तब भी लड़ने वाले लोगो  का नारा था हिंदुस्तान की जय , जय हिन्द।

हिन्दू मतलब गैर ब्राह्मण , हिंदुस्तान मतलब गैर ब्राह्मण लोगो का देश।  हिन्दू में ९७ पैर सेण्ट लोग कंसोलिडेट हुवे है।  हम यहाँ धर्म की बात नहीं करते।  हिन्दू में जैन है , सिख है , मुस्लिम है , क्रिसीटीएन है , बुद्धिस्ट है और हिन्दू भी  है।

हिन्दू कोई गाली नहीं मतलब चोर , नीच नहीं।  वो तो लोगो का काम है कहना , कहने दो , हम नॉन ब्राह्मण ऐसी नाम से ताकत बन उभर सकते है , यतीत में ताकत बन कर रहे है।  वर्ण , जाती , हिन्दू धर्म नहीं , ना ही वो इस देश के देन है , वह तो विदेशी ब्राह्मण धर्म है , विदेशी ब्राह्मण की दें है , हम क्यों माने ? हम हिन्दू बन कर , रह कर उनसे लड़ सकते है यही उनकी परेशानी है  तभी वो आज कहने लगे है हिन्दू जीवन पद्धति है।  हमारी जीवन पद्धति जनेऊ , होम हवं , भेदभाव , वेद और भेद , मनुस्मृति कभी नहीं हो सकती , हम ऐसे जीवन पद्धति मान  कर अपनहि अनादर क्यों करे ?

आवो गर्व से कहो हम हिन्दू है , हिंदुस्तानी है , नेटिव है।
आवो नेटिव रूल लाये , विदेशी ब्राह्मण भगाये !

नेटिविस्ट डी.डी.राउत ,
अध्यक्ष
नेटिव रूल मूवमेंट   

Tuesday, 26 December 2017

विदेशी ब्रह्मिनो की कितनी बात मानते हो ?

विदेशी ब्रह्मिनो ने कहा गौतम बुद्ध उनके ब्राह्मण धर्म के मुताबिक उनके ब्राह्मण धर्म के एक देवता विष्णु जो की चारित्र्य हिन् और बलात्कारी देखा जाता है उसका अवतार है।  क्या ये बात आप मानते है ?

विदेशी ब्रह्मिनो ने कहा बुद्ध की माँ के कोख में हाथी समां गया और वो सिद्धार्थ के रूप में जन्मा , क्या आत्मा हठी के रूप में होता है ये बात आप मानते क्या ?

सिद्धार्थ जन्म लेते ही तीन कदम चले , क्या ये बात आप मानते हो जब की नव जन्मे बच्चे रेंगते तक नहीं।

विदेशी ब्राह्मण कल कहेंगे बौद्ध धर्म में जाती वर्ण है , बुद्ध क्षत्रिय थे , कौशलायन ब्राह्मण थे , आंबेडकर महार थे आदि क्या ये बात ब्राह्मण कहेंगे तो मान लेंगे ?

हम बार बार कह रहे है विदेशी ब्राह्मण धर्म अलग है , नेटिव हिन्दू धर्म अलग है।  विदेशी ब्राह्मण धर्म का धर्म ग्रन्थ है वेद और कानून है मनुस्मृति।  नेटिव हिन्दू धर्म का धर्म ग्रन्थ है बीजक और कानून है हिन्दू कोड बिल।  वेद, भेद , वर्ण ,जाती , ऊंचनीच ,अस्पृश्यता विदेशी ब्राह्मण धर्म के धर्म के किताबो में है , वह नेटिव हिन्दू धर्म के धरोमो के किताबो में नहीं नाही कोई नेटिव हिन्दू धर्म का साधु , संत उसे  मान्यता देता है।

इतनी छोटीसी बात कुछ लोगो के समाज में नहीं आती तो हम क्या कर सकते है।  आप स्वतंत्र है , जो आप को ठीक लगे मानो  पर हमनहि मानते है हिन्दू धर्म या बुद्ध धर्म में वर्ण , जाती , भेदभाव है।  जो है कहते है वे ब्राह्मण धर्म को मजबूत करने का ही काम कर रहे है चाहे अज्ञान से ही सही।

हिन्दू धर्म , लोक धर्म है जो विदेशी ब्राह्मण इस देश पर आक्रमण करने के पहले से ही अस्तित्व में था जिसे लोग कभी भूले नहीं पर है उसमे कुछ मिलावट विदेशी ब्रह्मिनो ने करने की कोशिश की जो कभी जैन धर्म , कभी बुद्ध धर्म , सिख धर्म , वारकरी सम्प्रयदाय  , रविदासिया , रामनामी आदि बन कर हिन्दू ने रोका है।

कबीरजी ने हिन्दू धर्म फिर एक बार शुद्ध रूप में अपनी वाणी बीजक में बताया और डॉ. आंबेडकर ने हिन्दू धर्म का कानून हिन्दू कोड बिल दिया यही हिन्दू धर्म है , कोई बताये इन किताबो में इन पवित्र ग्रंथो में  कहाvarn और जाती को मान्यता दी है , अस्पृश्यता मानी है।  पर है इस देश में आज भी विदेशी ब्राह्मण जो करीब करीब ३ प्रतिशत है उनका ब्राह्मण धर्म , उनका वेद , उनका मनुस्मृति को ही ब्राह्मण धर्म मानते है।

इन विदेशी ब्रह्मिनो का , उनके ब्राह्मण धर्म का हमक्या करे ये आज महत्वपूर्ण सवाल है।  उस पे कुछ कहे तो बड़ी मेहेरबानी होगी और ब्राह्मण धर्म हिन्दू धर्म नहीं ये माने तो साधुवाद होगा !

नेटिविस्ट d.d.raut    

Thursday, 21 December 2017

सभी हिन्दू लोग विदेशी ब्रह्मिनो के लिए अस्पृश्य रहे है :

विदेशी ब्रह्मिनो ने सर्व प्रथम सभी हिंदुस्तानी हिन्दू लोगो को अस्पृश्य माना ,असंबन्ध, उसके बाद थोड़े सम्बन्ध , चुनकर सम्बन्ध जैसे रास्ते अपनाकर केवल हिन्दू के चार विभाग किये अस्पृश्य , शूद्र , वैश्य , क्षत्रिय।  खुद को ब्राह्मण धर्मी होने के कारण ब्राह्मण और सभी से अलग बनाये रखा।  पुरातन काल में जिस देश को गोंडवान कहा गया उन गोंड , भिल्ल के देवता भगवान शिव को चांडाल कहा गया जो की अस्पृश्य या असंबन्ध लोगो की श्रेणी में रखा गया।  इस प्रकार आज के सभी आदिवासी भी अस्पृश्य की हिन्दू श्रेणी में आते है और दूसरे गैर ब्राह्मण हिन्दू भी कभी अस्पृश्य ही रहे है।  सेलेक्टिव सम्बन्ध के तहत विदेशी ब्रह्मिनो ने राज पुरुष , मालदार बेपारी और किसान - मजदुर- कारगर को शूद्र कर काम ज्यादा शोषण किया पर इन सभी से दुरी बनाये राखी।

आज हम यही कह सकते है की गैर ब्राह्मण हिन्दू है और नेटिव है।  ब्राह्मण विदेशी है और उनका ब्राह्मण धर्म अलग है।  यानि हिन्दू वोही , जो ब्राह्मण नहीं।

नेटिविस्ट डी.डी.राउत ,
विचारक ,
मूल भारतीय विचार मंच