Sunday, 9 September 2018

ऐसे कहने वाले ही महान कहलाते है

दो घुट गंदे तालाब के पानी के
क्या भर गये मुँह में तुर्रम हो गए
जलाये दो पन्ने मनुस्मृति के
और लोगो ने माना खुर्रम हो गए ---

वो तो अच्छे अग्रेजों का राज था
कानून से चलता था कामकाज था
न्याय की वेवस्था थी न्यायी थे
काला राम मंदिर का क्या हालात था ----

बुलाये, लिखवाये पंडितवादी संविधान
जब चाहा मनसे लिखे हिन्दू कोड कानून
कर दिया उनसे तुरंत वही किनारा
बताया नहीं है ये हिन्दू धर्म हमारा ----

तब भाग कर अपनाया बुद्ध धरम
वही फूटे इनके रहे सहे करम
कहने लगे ब्राहमिनिस्म बुरा
विदेशी यूरेसियन ब्राह्मण भला -----

कहते है डिग्रियां संसोधन किये
और खोज कर दुनिया की किताबे
लाये वही ढाक के तीन पात
जाती पर आरक्षण और जातिवाद -----

उठते बैठते ब्राह्मण की लात खाते है
फिर भी गुणगान उन्ही का गाते है
कहते है रोटी बेटी से छूटेगी समश्या
ऐसे कहने वाले ही महान कहलाते है ----

#जनसेनानी #Jansenani कल्याण ९ सितम्बर , २०१८

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