सिकंदर मुक़द्दर का
मुझे याद आने वाले
तेरी याद आती है
जब भी आती है
बहोत आती है
जब तू थी सोला की
और मै भी सोला का
जुबा पे ताला था
आंखोमे तराना था
जब तू किताबे
छाती से कस कर
दिल करता था मेरा
बस कर बस कर
तू चलती थी
पीछे चलता था मै
अब वो यादे आती है
जब भी आती है
बहुत आती है
कहा हो तुम
मेरे मेहबूब जरा बतावो
बाकी है बहुत बाते
जरा आजवो
अब तो तुम भी सत्तर की
मै भी सत्तर का
कभी तो बनादो मुझे
सिकंदर मुक़द्दर का
#जनसेनानी #Jansenani कल्याण
१२ जून २०१८
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